Monday, March 22, 2010

वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी...



वो ख़्वाबों खिलौनों की जागीर अपनी.. 
न दुनिया का डर था , ना रिश्तों के बंधन ...

जैसी दीपकलिका धाकुटी...



जैसी दीपकलिका धाकुटी | 
परि बहु तेजाते प्रकटी | 
तैसी सदबुद्धी ही थेकूटी | 
म्हणो नये ||